भोपाल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने के बाद ड्रॉपआउट की स्थिति रोकने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने नई एडमिशन पॉलिसी तय कर दी है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए स्कूलों में प्रवेश की नीति घोषित की है, जिसके तहत कक्षा 6वीं, 9वीं और 11वीं में एडमिशन के लिए विद्यार्थियों को किसी भी सरकारी स्कूल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। बल्कि, जिस स्कूल से विद्यार्थी ने पिछली कक्षा (5वीं, 8वीं और 10वीं) पास की है, उस स्कूल के शिक्षक ही एडमिशन की प्रक्रिया पूरी करेंगे।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 में इन कक्षाओं को पास करने वाले विद्यार्थियों में से 91.51% स्टूडेंट्स ड्रॉपआउट हुए हैं।
स्कूल से स्टूडेंट्स के घर की दूरी भी ड्रॉपआउट की वजह
स्कूलों के सेटअप के अनुसार, 5वीं पास करने पर स्टूडेंट को 6वीं, 8वीं पास करने पर 9वीं, और 10वीं पास करने पर 11वीं में एडमिशन लेना पड़ता है। इसके लिए अब तक स्टूडेंट को खुद एडमिशन की प्रक्रिया पूरी करनी होती थी, और इसी बीच बड़ी संख्या में स्टूडेंट पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसकी वजह विद्यालयों की स्टूडेंट्स के घर से दूरी भी है, जिससे ड्रॉपआउट की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग हर साल कुछ नया प्रयास करता है।
इस बार विभाग ने तय किया है कि स्टूडेंट्स को स्कूल से बाहर न जाने दिया जाए, यानी 5वीं, 8वीं, और 10वीं पास करते ही उसी स्कूल का प्रधानाचार्य या प्राचार्य स्टूडेंट को अगली कक्षा में एडमिशन देने की प्रक्रिया पूरी कर देगा। भले ही स्टूडेंट दूसरे सरकारी स्कूल में एडमिशन ले रहा हो।
विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे ड्रॉपआउट की संख्या नियंत्रित की जा सकेगी। हालांकि, यह एडमिशन केवल निकटवर्ती सरकारी स्कूलों में ही दिए जाएंगे।
एडमिशन के लिए जिम्मेदारी भी तय
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी नीति में विभाग ने संकुल क्षेत्र के सभी प्राथमिक, मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक और हाई स्कूल के प्राचार्य की जिम्मेदारी तय की है।
उनसे कहा गया है कि किसी भी सूरत में स्टूडेंट ड्रॉपआउट नहीं होना चाहिए। उसे संकुल क्षेत्र के किसी भी सरकारी स्कूल में एडमिशन लेना हो, तो आप अपने स्कूल में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कराएंगे। साथ ही उन स्टूडेंट्स की जानकारी भी रखनी होगी जो स्थानांतरण प्रमाण पत्र लेकर किसी अन्य राज्य, जिले या दूरवर्ती स्कूल में जाना चाहते हैं





