धामनोद से संवाददाता सोभाग प्रजापति की रिपोर्ट
मां नर्मदा महाविद्यालय में 24 सितंबर को राष्ट्रीय सेवा योजना के 55 वे स्थापना वर्षगांठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय निदेशक डॉ मनोज नाहर, महाविद्यालय निदेशिका श्रीमती रीना नाहर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ अभिलाषा अष्ठाना मौजूद रहे, कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं एनएसएस गीत “नदिया न पिये कभी अपना जल, वृक्ष न खाए कभी अपना फल” के द्वारा किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ मनोज नाहर ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि एनएसएस का प्रतीक चिन्ह उड़ीसा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर के रथ के चक्र से लिया गया है। यह विशाल चक्र सृजन संरक्षण को अभिव्यक्त करता हैं तथा काल और स्थान से पूरे जीवन में गति के महत्व बताते हैं। चक्र की 8 तीलियां 8 पहरों को गतिमान रहने की प्रेरणा देती है। महाविद्यालय निदेशिका श्रीमति रीना नाहर ने अपने उद्बोधन में कहा कि एनएसएस की इकाई व्यक्ति के जीवन में अनुशासन के साथ साथ सेवा भाव जाग्रत करती है सेवा का यही संचार व्यक्ति से निकाय और राज्य तक पहुंचता है जो राष्ट्र निर्माण में सहायक होता है।
महाविद्यालय प्राचार्या डॉक्टर अभिलाषा अष्ठाना ने स्वयंसेवकों को नैतिक मूल्यों और कर्तव्यों के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि नैतिक मूल्य ही हमारी विशिष्ट पहचान है हमें देश और समाज की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए एनएसएस युवाओं के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके माध्यम से उनका सर्वांगीण विकास संभव है इस अवसर पर स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाओं को महाविद्यालय की एनएसएस इकाई के द्वारा डायरी एवं बैच वितरित किए गए। कार्यक्रम का संचालन रासेयो अधिकारी प्रोफेसर लोकेंद्र चौहान द्वारा तथा आभार प्रो. निशा पाठक द्वारा व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में विशेष सहयोग प्रो.प्रवीण बैरागी, प्रो.सौरभ पाटीदार, प्रो.दिनेश नायडू प्रो. प्रगति सावले आदि का रहा।