
धर्म
शिवजी पर जल के साथ बेलपत्र चढ़ाने का विधान है। शिवपुराण के अनुसार कुछ तिथियों पर बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
सावन का पवित्र माह चल रहा है। इस महीने में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए भक्त उनकी आराधना करते हैं। खासतौर पर पूजा में अर्पित की जाने वाली सामग्री का खास ध्यान रखते हैं। महादेव को बेलपत्र बेहद प्रिय है। जिसे चढ़ाने से शंकर अपने भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं। हालांकि बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम हैं। जिनका पालन करना जरूरी है। आइए जानते हैं बेलपत्र तोड़ने, चढ़ाने के नियम और महत्व के बारे में।
बेलपत्र इन तिथियों में न तोड़ें
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र न तोड़ें। इसके लिए बेलपत्र को टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए।
बेलपत्र चढ़ाने का नियम
महादेव को हमेशा बेलपत्र अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करने के साथ जल की धारा आवश्य चढ़ाएं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार बेलपत्र कभी भी बासी नहीं होता है। अगर नया बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो चढ़ाए हुए बेलपत्र को धोकर पूजा में दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
बेलपत्र का महत्व
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। बेलपत्र से शिवजी ही नहीं, बल्कि हनुमानजी भी प्रसन्न होते हैं।
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