
शहडोल मध्यप्रदेश
शहडोल, भगवान शिव की उपासना और पूजा अर्चना का महीना यानी सावन गुरुवार से शुरू हो रहा है। श्रावण मास में शहडोल जिला मुख्यालय का विराट शिव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन जाता है। वैसे भी कल्चुरीकाल से अब तक यह शिव मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ है। सावन के पवित्र महीने में यहां के प्रति आस्था और प्रगाढ़ हो जाती है। यहां पर दर्शन करने के लिए पूरे माह प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सावन सोमवार को यहां पर लोगों की काफी भीड़ उमड़ती है।
मंदिर का इतिहास
विराट मंदिर में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना 11वीं शताब्दी में कल्चुरीकाल के राजा युवराज देव प्रथम ने कराई थी। यह मंदिर चंदेल शासकों के खजुराहो मंदिरों से मिलता-जुलता है। मंदिर की लंबाई 46 फीट और ऊंचाई 72 फीट है। मंदिर के बाहर नंदी विराजमान हैं। वर्षा और धूप के कारण नंदी की प्रतिमा थोड़ी घिस गई है। मंदिर की दीवारों पर बाहर की ओर जो प्रतिमाएं पत्थरों पर नक्काशी कर बनाई गई हैं, वे पूरी तरह से खजुराहो की मूर्ति कला की याद दिलाती हैं।
मंदिर का महत्व
विराट मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के प्रति लोगों की श्रद्धा है और लोगों का ऐसा मानना है कि सावन के महीने में जो भी इस मंदिर में आकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। इतिहास के विद्यार्थी इस मंदिर पर शोध भी करते हैं। संभाग में इसकी अपनी एक अलग पहचान है।
शहडोल की पहचान विराट मंदिर से ही है। यह कल्चुरीकालीन मंदिर अपने वैभव और वास्तुकला की याद दिलाता है। इसकी छवि निहारते रहने का मन करता है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसमें भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं।
-प्रदीप सिंह, समाजसेवी
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सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना पुण्यदायी और अभीष्ट फलदायक मानी जाती है। विराट मंदिर में स्थापित शिवलिंग की महिमा अपने आप में निराली है। यहां शिवलिंग के दर्शन करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है।