भोपाल सरकार के 4 मिशन में से एक ‘नारी सशक्तीकरण मिशन’ के प्रस्तावित ड्राफ्ट ने सरकार की उलझन बढ़ा दी है। पूरे मप्र में महिलाओं के लिए 15,650 वन और टू बीएचके घर बनाए जाएंगे। हर ब्लॉक में 50 बेड का वूमन हॉस्टल बनाने की योजना है। हर विकासखंड मुख्यालय पर डे-केयर सेंटर भी बनाए जाएंगे।
लेकिन इन योजनाओं के लिए बजट को लेकर सरकार असमंजस में है। क्योंकि पूरा प्रस्ताव 7 हजार करोड़ के करीब पहुंच गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने केंद्र सरकार से मिलने वाले निर्भया फंड का विकल्प सुझाया है। यह फंड मध्यप्रदेश को 60:40 के अनुपात में मिलता है।
नारी सशक्तीकरण मिशन के ड्राफ्ट में लाड़ली बहना को रूपे कार्ड देने की योजना है। वित्तीय और डिजिटल साक्षरता के लिए शॉर्ट-टर्म सर्टिफिकेट शुरू किए जाएंगे।
क्या है निर्भया फंड… 2013 में केंद्र ने 6000 करोड़ रुपए का फंड बनाया
1- 2013 में केंद्र सरकार ने 6000 करोड़ रुपए के निर्भया फंड की शुरुआत की। इसका उपयोग वन स्टॉप सेंटर बनाने, सुरक्षा उपकरण तैयार करने, फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित करने और यौन उत्पीड़न के मामलों के लिए फॉरेंसिक किट खरीदने में होता है।
2- मध्य प्रदेश में इसका उपयोग आवास निर्माण में भी किया जाएगा। 2015-16 से 2019-20 के बीच मप्र को 111.59 करोड़ रुपए मिले। इसमें से 84.44 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
3 – 2020-21 और 2021-22 के बीच वन स्टॉप सेंटर को कोई पैसा नहीं मिला। 2022-23 में केवल 17 करोड़ रुपए दिए गए।सेफ सिटी योजना का भी यही हाल है। 2020-21 से 2022-23 के बीच केवल 1.75 करोड़ रुपए मिले
खर्च का गणित – हर विकास खंड में 16 करोड़ रुपए लगेंगे आवास योजना में
घर : हर विकास खंड में 10 वन बीएचके और 40 टू-बीएचके आवास बनने हैं। लागत क्रमश: 20 लाख और 35 लाख रुपए आंकी गई है। यानि हर विकास खंड पर 16 करोड़ और 313 में 5000 करोड़ रुपए चाहिए। वह भी तब, जब जमीन सरकारी हो।
हॉस्टल : 50 कमरों का वर्किंग वुमन हॉस्टल बनना है। एक की लागत 6-7 करोड़ रुपए पड़ने वाली है। सभी ब्लॉक के लिए कुल 1900 करोड़ रुपए चाहिए।
डे-केयर सेंटर : विकासखंड मुख्यालय पर एक सेंटर बनाने और चलाने के लिए साल में साढ़े पांच लाख रुपए चाहिए। कुल 17 करोड़ लगेंगे।