भोपाल राज्य शासन ने एक बार फिर कोर्ट के मामलों में विभाग प्रमुखों को पूरी गंभीरता से काम करने के लिए कहा है। प्रमुख सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि न्यायालय में दायर होने वाले मामलों में संवेदनशीलता के साथ जवाब पेश करने में तेजी से काम किया जाए। संवेदनशीलता का काम सरकार की सेवा से रिटायर होने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के मामले में हो और उनके सेवा संबंधी भुगतान समय पर कर कोर्ट में प्रकरण नहीं पहुंचने देने की कोशिश की जाए।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि न्यायालयीन प्रकरणों के मामले में टाइम लिमिट में शासन की ओर से जवाब पेश करने और आदेश का पालन करने के निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। इसके बाद भी कोर्ट में जवाब पेश करने और न्यायालय के आदेश का पालन करने में देरी की स्थिति सामने आ रही है। इसलिए सभी विभाग, अध्यक्ष राजस्व मंडल, विभागाध्यक्ष, कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत को दोबारा निर्देशित किया जा रहा है कि कोर्ट के लंबित मामलों में जैसे ही नोटिस या याचिका मिले या केस दायर किए जाने की सूचना मिले तो प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति संबंधित विभाग जल्द करे और प्रभारी अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए कि प्रकरण की अपडेट स्थिति और सुनवाई की तारीख की जानकारी लेकर तय समय से पहले कोर्ट में जवाब पेश कराया जाए।
जीएडी के निर्देश में यह भी कहा गया है कि रिटायर्ड सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के मामले में विशेष सहानुभूति और मानवीय दृष्टिकोण रखा जाए और उनसे संबंधित मामले में नियमानुसार तेजी से कार्यवाही की जाए। गौरतलब है कि शासन द्वारा तय समय पर रिटायर्ड कर्मचारियों और अधिकारियों के सेवानिवृत्ति संबंधी भुगतान नहीं किए जाने के कारण कोर्ट में सरकार के विरुद्ध केस दायर करने रिटायर्ड शासकीय कर्मचारियों अधिकारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
कोर्ट की अवमानना पर मुख्य सचिव बनते हैं पक्षकार
मंत्रालय अफसरों के मुताबिक विभागों द्वारा समय पर जवाब नहीं दिए जाने और कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर कोर्ट द्वारा मुख्य सचिव को पक्षकार बनाकर न्यायालय तलब किया जाता है। ऐसे में सरकार की किरकिरी होती है। ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं जिसमें मुख्य सचिव को तलब करने पर विभाग प्रमुखों ने कोर्ट के आदेश का पालन किया है। इसे देखते हुए विभागों को कोर्ट में जाने वाले प्रकरणों में मुख्य सचिव को पक्षकार न बनाने के लिए भी कहा जाता रहा है।
अब तक इतने निर्देश जारी कर चुका है सामान्य प्रशासन विभाग
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