
जबलपुर मध्यप्रदेश
संस्कारधानी में गूंजा निर्विकार निराहार सत्याग्रह का संदेश
मॉं नर्मदा का अमृत तुल्य जल एवं शिव स्वरूप देव वृक्षों को कांवड़ में लेकर चले कांवड़िये
मॉं नर्मदा प्रकृति संरक्षण सम्वर्धन के लिए 647 दिनों से अखण्ड निराहार प्रकृति उपासक संत समर्थ सद्गुरु के सानिध्य एवं प्रेरणा से राष्ट्र के ह्रदय नगर संस्कारधानी जबलपुर के मॉं नर्मदा तीर्थ क्षेत्र सिध्दघाट ग्वारीघाट से प्रारंभ हुई

एक आदर्श पूर्ण दिव्य परम्परा जो हजारों लाखों श्रद्धालुओं की आस्था श्रद्धा का केंद्र बनती जा रही हमारी प्राचीन धर्म कला संस्कृति को जोड़ती शिवशक्ति की सगुण उपासना प्रकृति प्रेम पूजा पर्यावरण संरक्षण संवर्धन का संदेश देती गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित संस्कार कांवड़ यात्रा आज देवादिदेव महादेव के प्रिय सावन के द्वितीय सोमवार को बड़े उमंग उत्साह के साथ मॉं नर्मदा व देव वृक्षों के पूजन के पश्चात ग्वारीघाट से कैलाशधाम तक 35 कि मी की यात्रा के साथ महादेव के अभिषेक व देव वृक्षों की स्थापना के पश्चात सम्पन्न हुई । जिसमें कांवड़िये कांवड़ में एक तरफ जगतजननी रत्नगर्भा वेद गर्भा माँ नर्मदा का अमृत तुल्य जल एवं कांवड़ के दूसरी तरफ शिव स्वरूप देव वृक्ष लेकर सिद्ध घाट ग्वारीघाट से 35 किलो मीटर पैदल चल कर कैलाशधाम मंदिर में स्थित अखिलेश्वर महादेव का माँ नर्मदा के जल से अभिषेक करते है। संस्कार कांवड़ यात्र रेतनाका, रामपुर चौक, आदिगुरु शंकराचार्य चौक , शास्त्रिब्रिज, तीन पत्ती, यातायात चौक, सुपरमार्केट, लार्डगंज चौक, बड़ा फुआरा, सराफा बाजार से गलगला, बेलबाग, घमापुर चौक, कांचघर चौक, गोकलपुर, रांझी, खमरिया चौक से 35 कि मी की यात्रा कई झांकियों के साथ ,सैंकड़ों मंचों संस्थाओं संगठनों द्वारा स्वागत के पश्चात कैलाश धाम में सम्पन्न हुई।